स्वप्न दोष
- arun gangh
- Oct 2, 2020
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चमचे ज्ञानी हो गये करन लगे बकवास
सत्तर बरस सोये रहे खोजें आज विकास
खोजें आज विकास आभि ६ बरस है भाई।
६ बरसो में हमने सब कर दी सफाई।
अच्छे दिन है आए सब कुछ स्वप्न सा दिखता।
सब को १५लाख सब का चेहरा खिलता। चा
चारोरो तरफ खुशहाली सब आनंद मानते।
बेटी,रोटी व्यापार सब
खिल खिल मुस्काते।
चीन दुबक कर हमसे डर रहा थर्रय।
सभी पड़ोसियों से हमारा
प्रेम बढ़ा ही जाए।
कहे अरुण कविराय क्या ये स्वप्न दोष है।
सब कुछ देखे उल्टा ये क्या विघ्न कोश है।
काम पड़ा है ठंडा हम दीपिका से खुश है।
किसान करे त्राहिमाम हम सुशांत मदहोश है।
कोरोना की चपेट में रोज़ लाख जुड़ जाए।
मंदिर मस्जिद बाट कर हम थोथे बन जाए।

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