
I WANT TO TALK -हिन्दी सिनेमा समीक्षा ( 2024)
- arun gangh
- Nov 23, 2024
- 2 min read

कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो धीमी आँच पर ही पकने पर पूरा स्वाद देती हैं, स्वाद घुलकर जीभ, मन और पेट तीनों को आनंद देता है। यह सिनेमा उसी तरह का है, आप समय देंगे तो विस्मित, आनंदित और आशावादी बनकर निकलेंगे।
यह कहानी है अर्जुन सेन (अभिषेक बच्चन) की, जो मार्केटिंग का काम करता है और अमरीका में अच्छी नौकरी करता है। एक दिन अचानक उसे पता चलता है कि वह अपने जीवन के आखिरी 100 से भी कम दिन जीने वाला है क्योंकि उसे बहुत ही फैला हुआ कैंसर है। इसी बीच उसका तलाक भी हो रहा है, उसकी बीमारी के कारण काम भी हाथ से चला जाता है, और एक बेटी है जो हफ्ते के दो दिन ही उससे मिलने आती है और पिता से कहती है कि वह उसे और उसकी आदतों को जानते भी नहीं हैं। ऐसी नकारात्मक परिस्थिति से अर्जुन, अपने जीने के संकल्प के साथ, कैसे जुझारू व्यक्तित्व को बखूबी निभाता है और कैसे आगे बढ़ता है, यह उसी की कहानी है।
यह अभिषेक बच्चन की एक अनूठी सिनेमा है, आप अभिषेक बच्चन को सिनेमा में नहीं पाएंगे, आपको अर्जुन सेन, एक बंगाली भारतीय जो अमेरिका में रहता है, मिलेगा जिसे कैंसर है, जो इतनी नकारात्मक परिस्थिति में भी सकारात्मक है, अद्भुत। अहिल्या बर्मन (अर्जुन की बेटी) के रूप में बहुत अच्छा किरदार निभाती हैं। जानी लीवर को कई सालों बाद देखकर आनंद आया। बाकी सभी किरदारों से अच्छा काम लिया गया है। शूजित सरकार एक कुशल निर्देशक हैं, जो खामोशी से भी बहुत कुछ कह जाते हैं, उनकी निर्देशकीय कला को सलाम।
ये सिनेमा हमे प्रोत्साहित करती है कि दुविधाएं आएंगी, तकलीफें आएंगी, पर हम अगर जुझारू हैं तो हम संकल्प और सकारात्मक सोच से उस तकलीफ सेट निजाद पा सकते है। इस सिनेमा के पापा बेटी की जो नोकझोक, प्यार, दुलार और जुड़ाव दिखाया गया है, वो दिल को छूने वाला है,आपको आपके बहुत करीब लगेगा। अभिषेक १ बात कहते हैं कि " he is not manipulative but persuasive" यानी कि "वह धोखा देने वाला नहीं है, बल्कि प्रेरक है" । अद्भुत सोच। ये सिनेमा सकारात्मकता सिखाता है। जुझारूपन सिखाता है। आप भी इस सिनेमा को अपने आस पास ,जीवन से जुड़ी हुई पाएंगे। जहां परिस्थिति से लड़ना ही सिर्फ १ उपाय होता है, जो घुटने टेक देते हैं वह निराश ,और जो आशान्वित होते है वो प्रगति करते है।
इस सिनेमा से हम बहुत कुछ सीख है,समझा है,जीवन के नजदीक पाते है।अगर आप को धूम धड़के से दूर, जीवन के नजदीक, जीवन जीने की कला और आशा जागने वाली सिनेमा के सुख प्राप्त होता है तो जरूर देखे। और अगर कोई किसा भी नकारात्मक परिस्थिति में है तो उसे ये सिनेमा जरूर दिखाए।
⭐️⭐️⭐️🤞 AKG रेटिंग
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